Monday, March 26, 2018

Latest Hindi Pahaliya 2018 with Answer for Children

1.शीश कटे तो गल जाता
बिना पावं  के जंग छिडाता
नही व्यक्ति रहते इसमे
जानवर -पक्षी और पेड का नाता |



2.हर घर मे जाता हूँ ,
बच्चो को खूब मैं  भाता हुईं |
सब का मैं बना हूँ  मैं मामा ,
किन्तु हाथ किसी के ना आता हूँ |



3.राजा ने महल बनाया ,
ताल नही ,मगर नाम खाया |
जो कोई उस महल मे जाए,
पड़ा रहे तथा रोग भगाए |

हस्पताल

4.बोतल मे है एक बंद जिन ,
घातक जहर मे नही अभिन्न ,
जो भी खोले उसी का हो नाश ,
मुझसे दूर ही रहना आप |



5.छोटी -सी है कोठरी ,
जिसमे नही कोई इंसान ,
फिर भी वो करे ,
सदैव गाने का काम |



6.पैरो  मे कीले ,
गढवा इठलाता कौन ,
लोहा मुख मे दबा ,
दौड़ लगता कौन | |


7.हाथ पावं को एक कहो ,
पेट है मेरा देखो गहरा ,
मेरा मालिक भी सो जाए,
तो फिर भी देता पहरा |



8.तीन पावं की चम्पा रानी ,
रोज नहाने जाती |
दल भात का मजा न जाने ,
कच्चा आटा खाती ||



9.बन्दर मेरा मजा न जाने ,
आप बताओ तो जानू |
चाय सब्जी के अन्दर डलता हूँ
भूख लगाना मै जानू | | ,



10.माटी मे जीवन .है पाती,
धरती नमे मैं रहती ,
लेकिन जब दाने पा जाती ,
घनी मे जब पीसी जाती ||


Friday, March 23, 2018

Top 8 Bachcho Ki Hindi Pahaliyan

1.हमेशा नाक के नीचे  रहती
रहती हूँ मुख के उपर |
स्त्री से मैं दूर रहूँ ,
मालिक मेरा सिर्फ नर |


2.लैला की ऊँगली हूँ
मंजनू की पसली यार |
नमक तनिक सा लगा दो ,
खाने को तैयार  |

3.हिले -डुलेगा नही  वो कभी
नही कुछ भी लेगा |
छोटी पकड़ कर  मरोड़ो ,
शीघ्र घडा भर जायेगा |


4.मजेदार से मोती है
बेलो पे लटके |
नही मिले जिनको
वो कहते है खट्टे  |


5.लाल हमारी घघरी
सभी है हम सब को खावे |
हम सब को है रुलाई
हमे न कोई रुलावे |


6.औरो  के साथ चलूं  हमेशा
मंजिल तक पहुंचाऊ |
वैसे पड़ी रहूँ एक कोने मे
मैं कही नही जाऊ |

7.बाकी -बांबी है जल -भरी
उपर उसके जलती है आग |
जब भी उसे बजाओ बांसुरी
निकल उठे है काला नाग

8.दो  आखर का नाम है मेरा
किन्तु पावं है चार \
उन पावो  से चल नही पाता
 पूछ पहेली हो तैयार |





Sunday, March 18, 2018

Latest Pahaliyan in Hindi for school kids

1.हाथ -पावं व् पंख नही
अग्नि है इसकी माता |
हवा के सहारे उपर -नीचे ,
रुई -सा बिछ जाता

2.वनों की रोनक हूँ
सब्ज -सी परी |
जो भी कह दो ,वो रट लूँ ,
यह है कारीगिरी |

3.एक स्त्री के दो बेटे
दोनों ही सदा  रहते है लेटे|
चले यदि एक अकेला ,
दोनों का साथ अलबेला |


4.तीन आखर का मेरा नाम ,
वन -उपवन हटा है मेरा धाम |
बीच कटा तो बनी लड़ी ,
शुरू कटे पर कड़ी -कड़ी |


5.राजा के साथ दो मंत्री  है ,
ले दो -दो घोड़े ,हाथी व् ऊंट |
एक -एक इन  सब  के आगे ,
खड़े हुए है सैनिक  रंगरूट |


6.चढ़े  कंठ पर हुडदंग करे ,
तरलो मे है बदनाम |
आदत मे ये शुमार है ,
बतलाओ मेरा नाम | |

7.हरा रंग ,तन  पती का है ,
सबको मैं हैरान करूं |
रंग घोलकर  मुझे सजाओ ,
तब मै देह को लाल करूं |


8.तीन मेरे है हाथ ,
एक पावं है टंगा रहता  उल्टा ,
जब देखो  तो चक्कर काटू |
सब को राहत पहुचाता | |


9.पप्पू  राजा घर  मे बैठे है ,
रूठे है कुछ न बोले |
कान उमेठो ,तुरन्त माने ,
झटपट अपना मुहँ  खोले |

10.मोटा पेट है मेरा भाई ,
मुख  है मेरा छोटा  गोल |
प्यासे की मै प्यास  बुझओ,
रहस्य फटाफट मेरा खोल | |




Thursday, March 15, 2018

Bachcho Ki Nutkht Hindi Paheliyan


 

1.महेश  के पिता  के  5 लडको के नाम  बताओ | 
 १ गणेश
२ सुरेश
३ रमेश
४ अल्पेश
? ? ?
इसमे पांचवे  का  नाम  क्या होगा ?


2.डिब्बे पे डिब्बा ,
डिब्बा  का गाँव
चलती फिरती बस्ती ,
लोहे के पांव |



3.हरी -हरी मछली के
हरे -हरे अंडे ,
जल्दी से बुझिए
वरना पड़ेगे डंडे |


4.छोटा हूँ पर बड़ा कहलाता ,
रोज दही की नदी मे नहाता |


5.देखो जादूगर का हाल ,
डाले हरा निकाले लाल |


6.जब मैं जाऊ किसी के घर ,
बिन देखे वह काँपे थर -थर


7.चढ़ चौकी पर बैठे रानी ,
सर पर आग बदन पर पानी
बार -बार सर काटे जाका
कोई नाम बतावे वाका |


8.हवालात मे बंद पड़ी हूँ |
फिर भी बाहर पाओगे |
बिना पैर के सैर करू मैं
बिन मेरे मर जाओगे |


9.काली है पर काग नही ,
लम्बी है पर नाग नही |
बल खाती पर ढोर नही ,
बांधते है पर डोर नही |


10.थल मे पकड़े पैर तुम्हारे ,
जल मे पकड़े हाथ |
मुर्दा होकर भी रहता है ,
जिन्दो के साथ



Sunday, March 4, 2018

Top 15 Children Puzzles in Hindi | Bacho Ki Paheliyan

1.मै रहता हूँ  काला का काला
चाहे साबुन मे मुझको धोलो |
मै रहता हूँ  मिटटी के नीचे
नाम है मेरा झट बोलो |


2.शुरू कटे  मर जाऊ
पानी सदैव पेट  मे लाऊ |
आखिर कटे  मैं गिला करूं
बर्तनों मे ही मैं मिला करूं | |


3.वह पाले नही भैंस  या गाय
फिर भी वह दूध - मिलाई खाए |
घर बैठे ही वह करे शिकार
शेर भी गया उससे हार |


4.तीन आखर का मेरा नाम
बीच कटे रिश्ते का नाम |
आखिर कटे तो सब खाए
भारत के तीन तरफ दिखाए |
सागर

5.शुरू कटे तो कान कहलाऊ
बीच कटे ओ मन कहलाऊ |
परिवार की  मैं करू सुरक्षा
बारिश ,आंधी ,धुप  से रक्षा |


6.भैया मैं हूँ तीन पंख का
चार महीने पाता आराम |
बिजली का प्रवाह हूँ मैं सहता
घंटो  मैं तो चलता ही रहता |


7.वह मेरी जन्म भूमि है ka
महफिल है मेरा धाम |
सबके अधर लगकर देती
सुरगम का है पैगाम |


8.एक परिंदा ऐसा देखा ,
तालाब किनारे रहता था |
मुहँ से अग्नि उगलता था ,
पूंछ से द्रव  को पीता था |


9.सिर है छोटा तथा पेट बड़ा ,
तीन पैर पर रहे खड़ा |
खाता वायु और पिता तेल ,
फिर दिखलाता है अपना खेल |


10.एक जानवर है ऐसा ,
जिसकी दुम पर पैसा |
ताज पहने सर पर ,
राजा के जैसा |

11.बतलाओ ऐसी दो बहने ,
संग हँसती है ,संग गाती है |
उजले काले वस्त्र पहने ,
पर मिल कभी न पाती है |

12.द्वार पर दीवार
चिपकी ऐसी ही पड़ी है |
काम कबहूं नही करत ,
खाने पर दृष्टि  गडी है |


13.नित्य सवेरे आता है ,
नये -नये समाचार लाता है |
जो कोई पढ़ाता है उसको ,
बुद्धिमान वो बन जाता है |


14.दो अक्षर का  नाम मेरा,
आता हूँ खाने मे काम |
उल्टा लिखदो नाच दिखाऊ ,
फिर क्यों अपना नाम छिपाऊ ?


15.छत मे एक अजूबा देखा ,
लाल तवे को चलते देखा |
दिन भर फेरा करता रहता ,
पूरब से पशिचम को चलता |