1.मै रहता हूँ काला का काला
चाहे साबुन मे मुझको धोलो |
मै रहता हूँ मिटटी के नीचे
नाम है मेरा झट बोलो |
2.शुरू कटे मर जाऊ
पानी सदैव पेट मे लाऊ |
आखिर कटे मैं गिला करूं
बर्तनों मे ही मैं मिला करूं | |
3.वह पाले नही भैंस या गाय
फिर भी वह दूध - मिलाई खाए |
घर बैठे ही वह करे शिकार
शेर भी गया उससे हार |
4.तीन आखर का मेरा नाम
बीच कटे रिश्ते का नाम |
आखिर कटे तो सब खाए
भारत के तीन तरफ दिखाए |
सागर
5.शुरू कटे तो कान कहलाऊ
बीच कटे ओ मन कहलाऊ |
परिवार की मैं करू सुरक्षा
बारिश ,आंधी ,धुप से रक्षा |
6.भैया मैं हूँ तीन पंख का
चार महीने पाता आराम |
बिजली का प्रवाह हूँ मैं सहता
घंटो मैं तो चलता ही रहता |
7.वह मेरी जन्म भूमि है ka
महफिल है मेरा धाम |
सबके अधर लगकर देती
सुरगम का है पैगाम |
8.एक परिंदा ऐसा देखा ,
तालाब किनारे रहता था |
मुहँ से अग्नि उगलता था ,
पूंछ से द्रव को पीता था |
9.सिर है छोटा तथा पेट बड़ा ,
तीन पैर पर रहे खड़ा |
खाता वायु और पिता तेल ,
फिर दिखलाता है अपना खेल |
10.एक जानवर है ऐसा ,
जिसकी दुम पर पैसा |
ताज पहने सर पर ,
राजा के जैसा |
11.बतलाओ ऐसी दो बहने ,
संग हँसती है ,संग गाती है |
उजले काले वस्त्र पहने ,
पर मिल कभी न पाती है |
12.द्वार पर दीवार
चिपकी ऐसी ही पड़ी है |
काम कबहूं नही करत ,
खाने पर दृष्टि गडी है |
13.नित्य सवेरे आता है ,
नये -नये समाचार लाता है |
जो कोई पढ़ाता है उसको ,
बुद्धिमान वो बन जाता है |
14.दो अक्षर का नाम मेरा,
आता हूँ खाने मे काम |
उल्टा लिखदो नाच दिखाऊ ,
फिर क्यों अपना नाम छिपाऊ ?
15.छत मे एक अजूबा देखा ,
लाल तवे को चलते देखा |
दिन भर फेरा करता रहता ,
पूरब से पशिचम को चलता |
चाहे साबुन मे मुझको धोलो |
मै रहता हूँ मिटटी के नीचे
नाम है मेरा झट बोलो |
2.शुरू कटे मर जाऊ
पानी सदैव पेट मे लाऊ |
आखिर कटे मैं गिला करूं
बर्तनों मे ही मैं मिला करूं | |
3.वह पाले नही भैंस या गाय
फिर भी वह दूध - मिलाई खाए |
घर बैठे ही वह करे शिकार
शेर भी गया उससे हार |
4.तीन आखर का मेरा नाम
बीच कटे रिश्ते का नाम |
आखिर कटे तो सब खाए
भारत के तीन तरफ दिखाए |
सागर
5.शुरू कटे तो कान कहलाऊ
बीच कटे ओ मन कहलाऊ |
परिवार की मैं करू सुरक्षा
बारिश ,आंधी ,धुप से रक्षा |
6.भैया मैं हूँ तीन पंख का
चार महीने पाता आराम |
बिजली का प्रवाह हूँ मैं सहता
घंटो मैं तो चलता ही रहता |
7.वह मेरी जन्म भूमि है ka
महफिल है मेरा धाम |
सबके अधर लगकर देती
सुरगम का है पैगाम |
8.एक परिंदा ऐसा देखा ,
तालाब किनारे रहता था |
मुहँ से अग्नि उगलता था ,
पूंछ से द्रव को पीता था |
9.सिर है छोटा तथा पेट बड़ा ,
तीन पैर पर रहे खड़ा |
खाता वायु और पिता तेल ,
फिर दिखलाता है अपना खेल |
10.एक जानवर है ऐसा ,
जिसकी दुम पर पैसा |
ताज पहने सर पर ,
राजा के जैसा |
11.बतलाओ ऐसी दो बहने ,
संग हँसती है ,संग गाती है |
उजले काले वस्त्र पहने ,
पर मिल कभी न पाती है |
12.द्वार पर दीवार
चिपकी ऐसी ही पड़ी है |
काम कबहूं नही करत ,
खाने पर दृष्टि गडी है |
13.नित्य सवेरे आता है ,
नये -नये समाचार लाता है |
जो कोई पढ़ाता है उसको ,
बुद्धिमान वो बन जाता है |
14.दो अक्षर का नाम मेरा,
आता हूँ खाने मे काम |
उल्टा लिखदो नाच दिखाऊ ,
फिर क्यों अपना नाम छिपाऊ ?
15.छत मे एक अजूबा देखा ,
लाल तवे को चलते देखा |
दिन भर फेरा करता रहता ,
पूरब से पशिचम को चलता |