1.हमेशा नाक के नीचे रहती
रहती हूँ मुख के उपर |
स्त्री से मैं दूर रहूँ ,
मालिक मेरा सिर्फ नर |
2.लैला की ऊँगली हूँ
मंजनू की पसली यार |
नमक तनिक सा लगा दो ,
खाने को तैयार |
3.हिले -डुलेगा नही वो कभी
नही कुछ भी लेगा |
छोटी पकड़ कर मरोड़ो ,
शीघ्र घडा भर जायेगा |
4.मजेदार से मोती है
बेलो पे लटके |
नही मिले जिनको
वो कहते है खट्टे |
5.लाल हमारी घघरी
सभी है हम सब को खावे |
हम सब को है रुलाई
हमे न कोई रुलावे |
6.औरो के साथ चलूं हमेशा
मंजिल तक पहुंचाऊ |
वैसे पड़ी रहूँ एक कोने मे
मैं कही नही जाऊ |
7.बाकी -बांबी है जल -भरी
उपर उसके जलती है आग |
जब भी उसे बजाओ बांसुरी
निकल उठे है काला नाग
8.दो आखर का नाम है मेरा
किन्तु पावं है चार \
उन पावो से चल नही पाता
पूछ पहेली हो तैयार |
रहती हूँ मुख के उपर |
स्त्री से मैं दूर रहूँ ,
मालिक मेरा सिर्फ नर |
2.लैला की ऊँगली हूँ
मंजनू की पसली यार |
नमक तनिक सा लगा दो ,
खाने को तैयार |
3.हिले -डुलेगा नही वो कभी
नही कुछ भी लेगा |
छोटी पकड़ कर मरोड़ो ,
शीघ्र घडा भर जायेगा |
4.मजेदार से मोती है
बेलो पे लटके |
नही मिले जिनको
वो कहते है खट्टे |
5.लाल हमारी घघरी
सभी है हम सब को खावे |
हम सब को है रुलाई
हमे न कोई रुलावे |
6.औरो के साथ चलूं हमेशा
मंजिल तक पहुंचाऊ |
वैसे पड़ी रहूँ एक कोने मे
मैं कही नही जाऊ |
7.बाकी -बांबी है जल -भरी
उपर उसके जलती है आग |
जब भी उसे बजाओ बांसुरी
निकल उठे है काला नाग
8.दो आखर का नाम है मेरा
किन्तु पावं है चार \
उन पावो से चल नही पाता
पूछ पहेली हो तैयार |