1.एक है कोठरी हर घर मे ,
कही न बिस्तर पाए |
पानी शीश से गुजरता है ,
चेतत है कोई नाहि |
2.एक कथा मै कहू
सुन रे मेरे पूत !
बिना प्राण के उड़ चला ,
बांध गले मे अपने सूत
3.तीन अख़बार का मेरा नाम ,
सबसे ऊँचा है मेरा मान |
बीच कटे तो रहू पड़ी ,
शुरू कटे तो बस गडी |
4.हाथ बांधा ,पावं बांधा ,
मुख को भी दीया बांध |
दो थाल दोनों बंधे ,
बंधे से बचे नही कांध |
5.हला जाए,वापिस नही आए.
जाता हुआ भी ,दिख नही पाए |
हर कोई उसके गुण पाए ,
वही हमेशा बलवान कहाए | |
6.हमने देखा एक खजाना
लुट सके कोई जिसको ना |
दोनों हाथ से जो भी बांटे
ये दौलत तो बढती जाए |
7.आता है सुबह ,
शाम को जाता है|
कभी नही घर ,
का पता बताता | |
8.शीश कटे तो बचत है |
सिर्फ वामे हाड ,
धड काटो तो फिर पड़ जाए |
ऊँचा नो -दस का ताड
9.यु तो हूँ बेजान वस्तु मैं
न पीती हूँ न खाती हूँ |
फिर भी कोई करे पिटाई ,
तो दिल भर चिल्लाती हूँ | |
10.पानी पीते ढल जाए उम्र ,
हवा पाये पल जाए |
पके हुए सेब सा रंग ,
तथा रवि- सा तेज सुहाए |
11.मेरे सामने जो भी आवे ,
अपनी ही सुरत पावे |
बुद्धिमान मानु मैं उसको ,
जो भी मेरा नाम बतावे |
12.देखी एक विचित्र वर्षा ,
हाथी खड़ा हुआ नहाये |
बहे नही पानी प्यास बुझे ना ,
जमीन भीगी जाये |
13.बतलाओ क्या है नाम मेरा ,
स्त्री मुझसे करे श्रंगार |
छाया रहूं उनके अधरों पर ,
पर नही बनू कभी आहार |
14.पावं नही भागा जाए ,
घोड़े को भी हरा के आए |
पूरा जग उससे भय खाए ,
कर के पूजा उसे मनाए|
15.काली -काली है उसकी वर्दी ,
धीमी है उसकी चाल |
हर भवन मे वह फिरे घूमता ,
जैसे हो कोई कोतवाल |
1.स्नानघर
2.पतंग
3.पगड़ी
4.तराजू
5.समय
6.विध्या
7.सूरज
8.पहाड़
9.ढोलक
10.आग
11.दर्पण
12.ओंस
13.लिपिसिटक
14.नाग
15.कौआ
कही न बिस्तर पाए |
पानी शीश से गुजरता है ,
चेतत है कोई नाहि |
2.एक कथा मै कहू
सुन रे मेरे पूत !
बिना प्राण के उड़ चला ,
बांध गले मे अपने सूत
3.तीन अख़बार का मेरा नाम ,
सबसे ऊँचा है मेरा मान |
बीच कटे तो रहू पड़ी ,
शुरू कटे तो बस गडी |
4.हाथ बांधा ,पावं बांधा ,
मुख को भी दीया बांध |
दो थाल दोनों बंधे ,
बंधे से बचे नही कांध |
5.हला जाए,वापिस नही आए.
जाता हुआ भी ,दिख नही पाए |
हर कोई उसके गुण पाए ,
वही हमेशा बलवान कहाए | |
6.हमने देखा एक खजाना
लुट सके कोई जिसको ना |
दोनों हाथ से जो भी बांटे
ये दौलत तो बढती जाए |
7.आता है सुबह ,
शाम को जाता है|
कभी नही घर ,
का पता बताता | |
8.शीश कटे तो बचत है |
सिर्फ वामे हाड ,
धड काटो तो फिर पड़ जाए |
ऊँचा नो -दस का ताड
9.यु तो हूँ बेजान वस्तु मैं
न पीती हूँ न खाती हूँ |
फिर भी कोई करे पिटाई ,
तो दिल भर चिल्लाती हूँ | |
10.पानी पीते ढल जाए उम्र ,
हवा पाये पल जाए |
पके हुए सेब सा रंग ,
तथा रवि- सा तेज सुहाए |
11.मेरे सामने जो भी आवे ,
अपनी ही सुरत पावे |
बुद्धिमान मानु मैं उसको ,
जो भी मेरा नाम बतावे |
12.देखी एक विचित्र वर्षा ,
हाथी खड़ा हुआ नहाये |
बहे नही पानी प्यास बुझे ना ,
जमीन भीगी जाये |
13.बतलाओ क्या है नाम मेरा ,
स्त्री मुझसे करे श्रंगार |
छाया रहूं उनके अधरों पर ,
पर नही बनू कभी आहार |
14.पावं नही भागा जाए ,
घोड़े को भी हरा के आए |
पूरा जग उससे भय खाए ,
कर के पूजा उसे मनाए|
15.काली -काली है उसकी वर्दी ,
धीमी है उसकी चाल |
हर भवन मे वह फिरे घूमता ,
जैसे हो कोई कोतवाल |
1.स्नानघर
2.पतंग
3.पगड़ी
4.तराजू
5.समय
6.विध्या
7.सूरज
8.पहाड़
9.ढोलक
10.आग
11.दर्पण
12.ओंस
13.लिपिसिटक
14.नाग
15.कौआ
No comments:
Post a Comment