1.तीन रंग के सुंदर पक्षी,
नील गगन मे भरे उडान,
यह है सब की आँखों का तारा ,
हम सब इसको करते सम्मान |
2.खुशबु है पर फूल नही ,
जलती है पर ईर्ष्या नही |
3.चुपके से मै आती हू ,
तुमको रोज सुलाती हू ,
आहट पाकर सूरज की ,
जल्दी से भाग जाती हू |
4.काला -काला गोल तवे सा ,
रोटी नही पकाऊ,
सुई के तन मे चुभते ही ,
गाना तुम्हे सुनाऊ |
.
5.जाने कहाँ किधर से आता,
फिर न जाने क्यों छिपकर जाता |
असमान मे पेड़ दिखाई
सात रंग से रखता नाता |
6.कट-कट गया हुआ हल ,
सब्जी खायेगे उसे हम कल |
7.ऐसा कोंन सा अनाज है
जिसकी टेढ़ी नाक है |
8. लाल गाय लकड़ी खाय ,
पानी पीये मर जाये |
9.ये धनुष है सब को भाता ,
मगर लड़ने के काम न आता |
10.जरा -सी बिटिया
गजभर की चुटिया |
11.बारह घोड़े 30 गाडी ,
365 करे सवारी |
12.एक हाथ का प्राणी अचल ,
हाथ हिलाओ निकले जल |
13.खाते है इसको सब ,
लेकिन स्वाद न कोई बता सका |
लोग खिलाते भी है लेकिन ,
उसे न कोई चखा सका |
14.ब्राहा का पिता ,चन्दा का साला .
कीचड़ मे खिला उसको पाला |
15.लकड़ी के घोड़े को
लोहे की लगाम ?
16.लाल हरे सब मोती से
पैदा होते खेती से
बड़े दूर से आते है
बड़े चाव से खाते है |
17.वह घर मे भी होता है,
शाला मे भी होता है,
रोज बलती घर मे माँ ,
टीचर जी ने सही कहा |
18.हरा घेरा पीला मकान ,
उसमे रहता काला इंसान ?
19.रात मे है ,पर दिन मे नही ,
चतुर मे है ,पर चालाक मे नही ,
स्वर मे है, वर व्यंजन मे नही |
20.एक गोड दो बाहिया
मोड़ ससुर के हैयाँ |
21.अंधे मुझको नही जानते,
काना कुछ पहचाने ,
जिनको दिखाई कम देता ,
वे मेरे दीवाने |
22.है पानी का मेरा चोला ,
हूँ सफेद आलू -सा गोला |
कही उलटयदि मझको पाओ,
लाओ -लाओ कहते जाओ |
23.एक पैर है काली धोती
जाड़े मे हूँ हरदम सोती
गर्मी मे हूँ छाया देती
वर्षा मे हूँ हरदम रोती |
24. जादू के डंडे को देखो ,
बिन तेल बिन बाती,
नाक दबाते तुरन्त रोशनी .
सभी और फैलाती |
25.दो अक्षर का मेरा नाम
सर को ढकना मेरा काम |
26.सिर पर कलगी पर मैं न चन्दा
गरजे बादल, नाचे बन्दा |
नील गगन मे भरे उडान,
यह है सब की आँखों का तारा ,
हम सब इसको करते सम्मान |
2.खुशबु है पर फूल नही ,
जलती है पर ईर्ष्या नही |
3.चुपके से मै आती हू ,
तुमको रोज सुलाती हू ,
आहट पाकर सूरज की ,
जल्दी से भाग जाती हू |
4.काला -काला गोल तवे सा ,
रोटी नही पकाऊ,
सुई के तन मे चुभते ही ,
गाना तुम्हे सुनाऊ |
.
5.जाने कहाँ किधर से आता,
फिर न जाने क्यों छिपकर जाता |
असमान मे पेड़ दिखाई
सात रंग से रखता नाता |
6.कट-कट गया हुआ हल ,
सब्जी खायेगे उसे हम कल |
7.ऐसा कोंन सा अनाज है
जिसकी टेढ़ी नाक है |
8. लाल गाय लकड़ी खाय ,
पानी पीये मर जाये |
9.ये धनुष है सब को भाता ,
मगर लड़ने के काम न आता |
10.जरा -सी बिटिया
गजभर की चुटिया |
11.बारह घोड़े 30 गाडी ,
365 करे सवारी |
12.एक हाथ का प्राणी अचल ,
हाथ हिलाओ निकले जल |
13.खाते है इसको सब ,
लेकिन स्वाद न कोई बता सका |
लोग खिलाते भी है लेकिन ,
उसे न कोई चखा सका |
14.ब्राहा का पिता ,चन्दा का साला .
कीचड़ मे खिला उसको पाला |
15.लकड़ी के घोड़े को
लोहे की लगाम ?
16.लाल हरे सब मोती से
पैदा होते खेती से
बड़े दूर से आते है
बड़े चाव से खाते है |
17.वह घर मे भी होता है,
शाला मे भी होता है,
रोज बलती घर मे माँ ,
टीचर जी ने सही कहा |
18.हरा घेरा पीला मकान ,
उसमे रहता काला इंसान ?
19.रात मे है ,पर दिन मे नही ,
चतुर मे है ,पर चालाक मे नही ,
स्वर मे है, वर व्यंजन मे नही |
20.एक गोड दो बाहिया
मोड़ ससुर के हैयाँ |
21.अंधे मुझको नही जानते,
काना कुछ पहचाने ,
जिनको दिखाई कम देता ,
वे मेरे दीवाने |
22.है पानी का मेरा चोला ,
हूँ सफेद आलू -सा गोला |
कही उलटयदि मझको पाओ,
लाओ -लाओ कहते जाओ |
23.एक पैर है काली धोती
जाड़े मे हूँ हरदम सोती
गर्मी मे हूँ छाया देती
वर्षा मे हूँ हरदम रोती |
24. जादू के डंडे को देखो ,
बिन तेल बिन बाती,
नाक दबाते तुरन्त रोशनी .
सभी और फैलाती |
25.दो अक्षर का मेरा नाम
सर को ढकना मेरा काम |
26.सिर पर कलगी पर मैं न चन्दा
गरजे बादल, नाचे बन्दा |