1.शीश कटे तो गल जाता
बिना पावं के जंग छिडाता
नही व्यक्ति रहते इसमे
जानवर -पक्षी और पेड का नाता |
2.हर घर मे जाता हूँ ,
बच्चो को खूब मैं भाता हुईं |
सब का मैं बना हूँ मैं मामा ,
किन्तु हाथ किसी के ना आता हूँ |
3.राजा ने महल बनाया ,
ताल नही ,मगर नाम खाया |
जो कोई उस महल मे जाए,
पड़ा रहे तथा रोग भगाए |
हस्पताल
4.बोतल मे है एक बंद जिन ,
घातक जहर मे नही अभिन्न ,
जो भी खोले उसी का हो नाश ,
मुझसे दूर ही रहना आप |
5.छोटी -सी है कोठरी ,
जिसमे नही कोई इंसान ,
फिर भी वो करे ,
सदैव गाने का काम |
6.पैरो मे कीले ,
गढवा इठलाता कौन ,
लोहा मुख मे दबा ,
दौड़ लगता कौन | |
7.हाथ पावं को एक कहो ,
पेट है मेरा देखो गहरा ,
मेरा मालिक भी सो जाए,
तो फिर भी देता पहरा |
8.तीन पावं की चम्पा रानी ,
रोज नहाने जाती |
दल भात का मजा न जाने ,
कच्चा आटा खाती ||
9.बन्दर मेरा मजा न जाने ,
आप बताओ तो जानू |
चाय सब्जी के अन्दर डलता हूँ
भूख लगाना मै जानू | | ,
10.माटी मे जीवन .है पाती,
धरती नमे मैं रहती ,
लेकिन जब दाने पा जाती ,
घनी मे जब पीसी जाती ||
बिना पावं के जंग छिडाता
नही व्यक्ति रहते इसमे
जानवर -पक्षी और पेड का नाता |
2.हर घर मे जाता हूँ ,
बच्चो को खूब मैं भाता हुईं |
सब का मैं बना हूँ मैं मामा ,
किन्तु हाथ किसी के ना आता हूँ |
3.राजा ने महल बनाया ,
ताल नही ,मगर नाम खाया |
जो कोई उस महल मे जाए,
पड़ा रहे तथा रोग भगाए |
हस्पताल
4.बोतल मे है एक बंद जिन ,
घातक जहर मे नही अभिन्न ,
जो भी खोले उसी का हो नाश ,
मुझसे दूर ही रहना आप |
5.छोटी -सी है कोठरी ,
जिसमे नही कोई इंसान ,
फिर भी वो करे ,
सदैव गाने का काम |
6.पैरो मे कीले ,
गढवा इठलाता कौन ,
लोहा मुख मे दबा ,
दौड़ लगता कौन | |
7.हाथ पावं को एक कहो ,
पेट है मेरा देखो गहरा ,
मेरा मालिक भी सो जाए,
तो फिर भी देता पहरा |
8.तीन पावं की चम्पा रानी ,
रोज नहाने जाती |
दल भात का मजा न जाने ,
कच्चा आटा खाती ||
9.बन्दर मेरा मजा न जाने ,
आप बताओ तो जानू |
चाय सब्जी के अन्दर डलता हूँ
भूख लगाना मै जानू | | ,
10.माटी मे जीवन .है पाती,
धरती नमे मैं रहती ,
लेकिन जब दाने पा जाती ,
घनी मे जब पीसी जाती ||